Tuesday, March 8, 2011

अपनी बात अपने साथ.

" याद रखो दुनिया को, दुनियादारी को हम पकड़ते हैं, दुनिया या दुनियादारी हमको नहीं पकडती है"

" मोह ना बचे तो आत्मा शरीर को त्यागने का उद्यम करने लगती है, मोह ही आत्मा और प्राण को शरीर से बांधकर रखता है"

" किसी भी चीज़ से भागो मत, किसी भी चीज़ को त्यागो मत, उस चीज़ से ऊपर उठो"

" प्रेम का अर्थ होता है, पर अर्थात दुसरे में अहम् का समर्पण। किसी और में अपने मैं को विलीन कर देना ही प्रेम है"

" विचार उस पार पहुंचाने की कश्ती है, जिसे किनारे पहुंचकर त्यागना पड़ता है, अगर पकडे रहोगे तो एक दिन किनारे पर ही डूब जाओगे"

"निर्विचार की यात्रा विचार से ही आरम्भ होती है, निराकार की यात्रा आकार याने आकृति से ही आरम्भ होती है, निर्विकार की यात्रा विकार से ही आरम्भ होती है"

" उसकी इच्छा और कृपा के बिना उसे कोई नहीं जान सकता है, अपनी इच्छा और कृपा के बिना अपने को भी नहीं जाना जा सकता है"

" भागो मत, त्यागो मत, भागोगे तो वो चीज़ और पीछा करेगी, त्यागोगे तो उस चीज़ का मोह और जोर से जकड लेगा, ना भागो ना त्यागो बस जागो , जागो ,जागो। "

प्रेम तत्सत

Saturday, March 5, 2011

उत्तिष्ठ जाग्रतः : जागो और पा लो जिसे पहले ही पा चुके हो.

प्रिय मित्रों,
सदियों से सब कहते आ रहे हैं, फिर भी मैं आज उस बात को दोहराने का प्रयास कर रहा हूँ। जागो मेरे प्यारो। एक जागृत पुरुष के पास बैठ कर, मैंने जो प्रकाश पाया है, मैं चाहता हूँ सब वो पायें। मैं आह्वान कर रहा हूँ आओ और जानो खुद को आओ और उस परदे को हटाओ जिसने तुम्हारी भगवत्ता को ढांक लिया है। हम सब उस अज्ञात के अंश हैं, दिक्कत इतनी ही है कि, हम यह जान कर भी अनजान हैं। सबसे बड़ी समस्या है कि समंदर हमारे पास है, पर भीतर प्यास ही नहीं उठती है। जब एक जागृत पुरुष के पास आप जाते हैं, तब आपके भीतर भी एक प्यास कि याद उमड़ती है, सारा आध्यात्म इसी प्यास को जगाने कि जुगत है। एक बार अभीप्सा जाग गयी तो अमृत भी दूर नहीं है। मैंने उस प्रकाश उस प्यास के दर्शन किये हैं अपने गुरुदेव के सानिध्य में, और चाहता हूँ कि आप सब में उस प्यास का स्फुरण हो। कब तक सोये पड़े रहोगे पागलों, अब वक्त आ गया पागल होने का, पागल याने पा गल अथात जो पाने कि जिद में गल गया, जिसका अहंकार गल गया उसने पा लिया, जो पा गया और समंदर में मिल गया याने पा कर गल गया। एक सद्गुरु एक जागृत पुरुष एक सिद्ध और कुछ नहीं करता आप बस उसके पास बैठ जाएँ और उसके भीतर कि शान्ति और प्रकाश की एक झलक पा सके तो आपके जीवन में भी उस अज्ञात के प्रति आकांक्षा जाग जायेगी। कुछ नहीं करना है बस जागना है, सबकुछ मिला हुआ है, सबकुछ आपके भीतर है, बस उसके प्रति जो उदासीनता है उसको ख़त्म करना है। तुम वही हो, आओ और अमृत के समंदर में एक छलांग लगा लो। एक जागृत व्यक्ति का सानिध्य कितना प्रीतिकर होता है, इसका अनुभव कर लो। उसके भीतर के प्रकाश को देख कर शायद तुम्हे अपने भीतर के प्रकाश की याद आ जाए। कब तक सोये पड़े रहोगे अब तो जागो। तुम्हे कुछ पाना नहीं है, तुम पहले से ही सबकुछ लेकर आये हो, बस उसे जान लो तो जीवन शांति आनंद और अमृत से भर जाएगा।
अघोरान्ना पारो मंत्रो नास्ति तत्वं गुरो परम
प्रेम तत्सत