" याद रखो दुनिया को, दुनियादारी को हम पकड़ते हैं, दुनिया या दुनियादारी हमको नहीं पकडती है"
" मोह ना बचे तो आत्मा शरीर को त्यागने का उद्यम करने लगती है, मोह ही आत्मा और प्राण को शरीर से बांधकर रखता है"
" किसी भी चीज़ से भागो मत, किसी भी चीज़ को त्यागो मत, उस चीज़ से ऊपर उठो"
" प्रेम का अर्थ होता है, पर अर्थात दुसरे में अहम् का समर्पण। किसी और में अपने मैं को विलीन कर देना ही प्रेम है"
" विचार उस पार पहुंचाने की कश्ती है, जिसे किनारे पहुंचकर त्यागना पड़ता है, अगर पकडे रहोगे तो एक दिन किनारे पर ही डूब जाओगे"
"निर्विचार की यात्रा विचार से ही आरम्भ होती है, निराकार की यात्रा आकार याने आकृति से ही आरम्भ होती है, निर्विकार की यात्रा विकार से ही आरम्भ होती है"
" उसकी इच्छा और कृपा के बिना उसे कोई नहीं जान सकता है, अपनी इच्छा और कृपा के बिना अपने को भी नहीं जाना जा सकता है"
" भागो मत, त्यागो मत, भागोगे तो वो चीज़ और पीछा करेगी, त्यागोगे तो उस चीज़ का मोह और जोर से जकड लेगा, ना भागो ना त्यागो बस जागो , जागो ,जागो। "
प्रेम तत्सत
wonderfull........
ReplyDeleteजीवन के हर पहलु को रेखाकित करने वाली आपकी पोस्ट बहुत ही अची लगी .. सोचने को मजबूर कर दिया
ReplyDeleteधन्यवाद तरुण जी और साहू जी
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