अघोर सन्तो, अघोर साधको एवं अघोर पथिको के अनुभवों एवं वाणियो का संग्रह.
Friday, August 19, 2011
"इश्वर से भय इश्वर के प्रति पाप है "
ईश्वर से प्रेम ही आस्तिकता है, प्रेम उसी से होता है, जिसके होने कि संभावना होती है, बाहर नहीं तो भीतर ही सही। प्रेम अपने आप में एक घोषणा है, प्रियतम के होने कि उसके अस्तित्व को स्वीकारने की भय नकारात्मक है प्रेम विधायक।
very right .
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nice
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