Saturday, March 5, 2011

उत्तिष्ठ जाग्रतः : जागो और पा लो जिसे पहले ही पा चुके हो.

प्रिय मित्रों,
सदियों से सब कहते आ रहे हैं, फिर भी मैं आज उस बात को दोहराने का प्रयास कर रहा हूँ। जागो मेरे प्यारो। एक जागृत पुरुष के पास बैठ कर, मैंने जो प्रकाश पाया है, मैं चाहता हूँ सब वो पायें। मैं आह्वान कर रहा हूँ आओ और जानो खुद को आओ और उस परदे को हटाओ जिसने तुम्हारी भगवत्ता को ढांक लिया है। हम सब उस अज्ञात के अंश हैं, दिक्कत इतनी ही है कि, हम यह जान कर भी अनजान हैं। सबसे बड़ी समस्या है कि समंदर हमारे पास है, पर भीतर प्यास ही नहीं उठती है। जब एक जागृत पुरुष के पास आप जाते हैं, तब आपके भीतर भी एक प्यास कि याद उमड़ती है, सारा आध्यात्म इसी प्यास को जगाने कि जुगत है। एक बार अभीप्सा जाग गयी तो अमृत भी दूर नहीं है। मैंने उस प्रकाश उस प्यास के दर्शन किये हैं अपने गुरुदेव के सानिध्य में, और चाहता हूँ कि आप सब में उस प्यास का स्फुरण हो। कब तक सोये पड़े रहोगे पागलों, अब वक्त आ गया पागल होने का, पागल याने पा गल अथात जो पाने कि जिद में गल गया, जिसका अहंकार गल गया उसने पा लिया, जो पा गया और समंदर में मिल गया याने पा कर गल गया। एक सद्गुरु एक जागृत पुरुष एक सिद्ध और कुछ नहीं करता आप बस उसके पास बैठ जाएँ और उसके भीतर कि शान्ति और प्रकाश की एक झलक पा सके तो आपके जीवन में भी उस अज्ञात के प्रति आकांक्षा जाग जायेगी। कुछ नहीं करना है बस जागना है, सबकुछ मिला हुआ है, सबकुछ आपके भीतर है, बस उसके प्रति जो उदासीनता है उसको ख़त्म करना है। तुम वही हो, आओ और अमृत के समंदर में एक छलांग लगा लो। एक जागृत व्यक्ति का सानिध्य कितना प्रीतिकर होता है, इसका अनुभव कर लो। उसके भीतर के प्रकाश को देख कर शायद तुम्हे अपने भीतर के प्रकाश की याद आ जाए। कब तक सोये पड़े रहोगे अब तो जागो। तुम्हे कुछ पाना नहीं है, तुम पहले से ही सबकुछ लेकर आये हो, बस उसे जान लो तो जीवन शांति आनंद और अमृत से भर जाएगा।
अघोरान्ना पारो मंत्रो नास्ति तत्वं गुरो परम
प्रेम तत्सत

7 comments:

  1. aanand se bhar gaya man .aapke blog ne prabhavit kiya.koi prashn hoga to avashay poochhongi.

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  2. धन्यवाद शालिनी जी

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  3. kamal ji yaha to sare tarf log bhotik ke piche pagal he jo majburi ban gayi he to pyas kaha se lagegi aur pyas lagegi to pet kase bharega.jay gurumahraj

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  4. अभिषेक जी
    यहाँ तो लोग समंदर के किनारे रहकर भी प्यासे रह जाते हैं, पर उस से बड़ा दुर्भाग्य यह है, कि लोग प्यास के बारे में भी नहीं जानते. एक बार प्यास जाग जाए तो भी कुछ हो. सदगुरु हमारे भीतर वो प्यास जगा देता है, और साथ ही समंदर का पता दे देता है. आगे की यात्रा तो खुद करनी पड़ती है.
    प्रेम ततसत

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  5. so..............where will be the place...............to get what u got.........

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  6. जहाँ हो वहीं खोदना शुरू कर दो कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं, जो चाहोगे वो मिलेगा.

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  7. गुरु देह नहीं प्राण हैं, अपने ही प्राण हैं, परमात्मा, भगवती, शक्ति, सब कुछ आपके भीतर है, ज़रा भीतर उतर कर तो देखो. खुद पे यकीन रखो तो परमात्मा पर यकीन होने लगेगा

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