Tuesday, February 22, 2011

अपनी बात : ना आँखों देखी ना कानो सुनी

" जिस क्षण मन को बाँधना शुरू करोगे, उसी क्षण से आत्मा के मुक्त होने का प्रमाण मिलने लगेगा"


" हरी को भजे तो हरी को होई " पर मैं कहता हूँ " हरी सो भजे तो हरी सो होई "


"चल मन अब अपने घर, छोड़ जगत का रेला रे, अपने घर ही पिया मिलेंगे, जग है दो पल का मेला रे "


" शक्ति को नियंत्रण में रखना शक्ति की कृपा से ही संभव होता है"


" बहुत सारे देवी देवताओं के चक्कर में मत रहिये, गुरु के चक्कर लगाते रहिये वो आपको सारे चक्करों से मुक्ति दिला देगा"


" गुरु का अर्थ है जिसमे गुरुत्वाकर्षण हो , जो इस पञ्च महाभूत के जगत की सबसे बड़ी शक्ति है"

"गुरु आपको शिक्षा नहीं दीक्षा देता है, गुरु आपको रूपांतरित कर देता है "

" शक्ति के बिना शिव शव हो जाते हैं, हम भी उसी शक्ति के बिना शव हो जाते हैं, वो शक्ति है प्राण, प्राणमयी भगवती की उपासना शिवत्व को उपलब्ध कराती है"





प्रेम तत्सत






6 comments:

  1. बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद पोस्ट| धन्यवाद|

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  2. अच्छा लिखा है पर गुरु कहाँ से लायें ?
    अपना ब्लॉग मासिक रिपोर्ट

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  3. अच्छे गुरू की पहचान क्या है। इस पर प्रकाश डालें तो कृपा होगी। धन्यवाद।

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  4. निर्मलाजी धन्यवाद
    अगली प्रस्तुति गुरु पर ही होगी आश्वासन देता हूँ.

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  5. मित्रो धन्यवाद
    गुरु कैसे मिलेंगे कब मिलते हैं, इसपर चर्चा करेंगे.

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  6. Hari bhaje so hari ka hari so hoi........adhbhut.............

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